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प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार करो
एक लोहा पूजा मे राखत, एक घर बधिक परो |
सो दुविधा पारस नहीं देखत, कंचन करत खरो ||
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो….
एक नदिया एक नाल कहावत, मैलो नीर भरो |
जब मिलिके दोऊ एक बरन भये, सुरसरी नाम परो ||
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो...
एक माया एक ब्रह्म कहावत, सुर श्याम झगरो |
अब की बेर मुझे पार उतारो, नही पन जात तरो ||
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो….
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार करो
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प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो ।
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार करो ।। [1]
एक लोहा पूजा मे राखत, एक घर बधिक परो ।
सो दुविधा पारस नहीं देखत, कंचन करत खरो ।। [2]
एक नदिया एक नाल कहावत, मैलो नीर भरो ।
जब मिलिके दोऊ एक बरन भये, सुरसरी नाम परो ।। [3]
एक माया एक ब्रह्म कहावत, सूर श्याम झगरो ।
अबकी बेर मोही पार उतारो, नहि पन जात तरो ।। [4]
- श्री सूरदास, सूर सागर
हे प्रभु, कृपया मेरे दोषों की तरफ़ ध्यान न दें । आप समदर्शी जाने जाते हैं और सभी को समान रूप से प्यार करते हैं, यदि आप चाहें तो मुझे इस भवसागर से पार करें । [1]
एक लोहा है जिसका उपयोग पवित्र पूजा में किया जाता है जबकि एक और है जो एक कसाई इत्यादि ग़लत काम जैसे जानवर काटने इत्यादि में करते हैं । लेकिन प्रभु, क्या पारस यह देखता है कि यह लोहा कौन सा है, वह तो सबको सोना बना देता है । ऐसे ही चाहे मैंने अनंत पाप किए हैं परंतु अब आपकी शरण में हूँ, अब आप मेरे पापों की तरफ़ मत दृष्टि डालें। [2]
एक तरफ नदी है और दूसरी तरफ गंदा नाला है । जब दोनों गंगा जी में मिलते हैं तो दोनों गंगा जी ही कहलाते हैं । गंगा जी दोनों में अंतर नहीं करती बल्कि अपना गुण दोनों को दे देती है । [3]
एक तरफ़ जीव पर माया लगी है, दूसरी ओर जीव [आत्मा] भगवान का ही अंश है, यह झगड़ा सा है । श्री सूरदास जी प्रार्थना करते हैं, हे प्रभु अब बहुत हुआ, अबकि बार मुझे आप इस भवसागर से पार लगा दो, मेरे साधन में तो इतना बल नहीं कि मैं इसे पार कर सकूँ, अब आप अपनी कृपा दृष्टि से ही मेरा काम करिए । [4]
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Prabhu More Avagun Chit Na Dharo.
Samdarshi Hai Naam Tiharo Chahe to Paar Karo. [1]
Ek Loha Pooja Mein Raakhat, Ek Ghar Badhik Paryo.
Paaras Gun Avagun Nahi Dekhat, Kanchan Karat Kharo. [2]
Ek Nadiya Ek Naal Kahave Mailo Neer Bharo.
Jab Dou Mil Ke Ek Baran Bhaye, Sursari Naam Paryo. [3]
Ek Maya Ek Brahma Kahavat, Soor Shyam Jhagaro.
Abki Ber Mohi Paar Utaaro, Nahi Pan Jaat Taro. [4]
- Shri Surdas, Sur Sagar
O Lord, please ignore my faults. You are known as impartial and love everyone equally, If you wish then kindly bestow Your grace upon me. [1]
There is an iron that is used in the holy worships while there is another that lies with a brutal butcher. O Lord, You are like that "Paras" (a stone that is characterized by turning all ferrous objects into golden ones) which doesn’t look which iron it is whereas converts all the iron [without differentiating] to pure gold simply by touching it. [2]
On one side there is a river and on another, there is a gutter filled with dirty water. When both of them meet together with Ganga, they both are known as Ganga, the holy river. Ganga Ji doesn't differentiate between the two. [3]
There is one entity known as Maya, and another entity known as ‘Brahm’ (i.e a soul is pure, Brahma himself, however under the impact of Maya it cannot reach God), However, there is so much dispute, O Lord, I am confused and dependent upon You for Your mercy, now this time, don’t delay it! I can’t cross this ocean of this material world by myself [i.e without Your grace]. [4]