एक परंपरा है भिटोली LOKPERV " Bhitoli " by रंग्वाली published on 2021-04-27T08:55:35Z मायके की यादों को समेटे रखने का वार्षिक आयोजन है भिटौली उत्सव #Neelu_Pandey उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में हर साल चैत्र में मायके पक्ष से पिता या भाई अपनी बेटी/बहन के लिए भिटौली लेकर उसके ससुराल जाता है। पहाड़ी अंचल में आज भी महिला को चैत में भिटौली दी जाती है। सदियों से चली आ रही भिटौली परंपरा का महिलाओं को बेसब्री से इंतजार है। पहाड़ की महिलाओं को समर्पित यह परंपरा महिला के मायके से जुड़ी भावनाओं और संवेदनाओं को बयां करती है। हालांकि पहाड़ की बदलते स्वरूप, दूरसंचार की उपलब्धता, आवागमन की बढ़ी सुविधाओं के बाद यह परंपरा कम होती जा रही है, लेकिन प्रदेश के दोनों मंडलों के पहाड़ी क्षेत्रों में यह परंपरा पुराने रूप में जीवित है। हालांकि वर्तमान समय में दूरसंचार माध्यमों और परिवहन क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाओं की बदौलत दूरियां सिमट चुकी हैं। लेकिन, विवाहिता के दिल में मायके के प्रति संवेदनाएं और भावनाएं शायद ही बदल पाएंगी। यही वजह है कि सदियों से चल रही परम्पराएं आज भी कायम हैं। ऐसी ही एक परंपरा है भिटोली। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भिटौली सिर्फ रिवाज ही नहीं, बल्कि प्रत्येक विवाहिता के लिए अपने मायके से जुड़ी यादों को समेटकर रखने का वार्षिक आयोजन है। वर्तमान में लोकपर्वों जीवंत बनाए रखना चुनौती है। शहरों में जो संस्थाएं यह प्रयास कर कर रही है, वह सराहनीय है। भिटौली का शाब्दिक अर्थ है भेंट (मुलाकात) करना। विवाहित लड़की के मायके वाले (भाई, माता-पिता या अन्य परिजन) चैत के महीने में उसके ससुराल जाकर विवाहिता से मुलाकात करते हैं। वह लड़की के लिए घर में बने व्यंजन जैसे खजूर, आटे, दूध, घी, चीनी का मिश्रण, खीर, मिठाई, फल व वस्त्र आदि लेकर जाते हैं। शादी के बाद पहली भिटौली लड़की को बैसाख महीने में दी जाती है। उसके पश्चात हर वर्ष चैत में दी जाती है। उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, पुराने समय में संसाधनों की कमी, व्यस्त जीवन शैली के कारण विवाहित महिला को सालों तक अपने मायके जाने का मौका नहीं मिल पाता था। ऐसे में चैत्र में मनाई जाने वाली भिटौली के जरिए भाई अपनी विवाहित बहन के ससुराल जाकर उससे भेंट करता था। #Dr_Pramila_Joshi HOD/Principal, B.Ed. Mariyam Institute for Higher Studies & Allied Courses Abdullah Building, Bareilly Road HALDWANI (Distt. Nainital) Genre Folk & Singer-Songwriter Comment by रंग्वाली सदियों से चल रही परम्पराएं आज भी कायम हैं। ऐसी ही एक परंपरा है भिटोली। 2021-04-27T10:23:39Z